हिन्दी व्याकरण मे sangya का बाद ही महत्व है क्यों की इसके बिना कोई भी शब्द नहीं बन सकता है , क्यों की sangya का मतलब ही नाम से होता है , जिसमे किसी का भी नाम आता हो जैसे , पेड़ , पानी , इंसान का नाम , गाय , भेड़ , आदि को sangya कहते है , इसलिए आइए आज के ब्लॉग मे हम ये जान ने की कोशिश करते है की sangya kise kahate hai और साथ ही मे sangya ke kitne bhed hote hai और साथ ही मे sangya ke kitne bhed hote hai ये भी जानने की कोशिश करते है |
संज्ञा किसे कहते है ? |
संज्ञा किसे कहते है ? ( sangya kise kahte hai )
Sangya का मतलब जिन विकारी शब्दों मे किसी व्यक्ति , स्थान , प्राणी , गुण , काम , भाव, आदि का बोध होता है , उन्हे sangya कहते है |
दूसरे शब्दों मे किसी वस्तु ( जिसका अस्तित्व होता है , या फिर जिसकी कल्पना की जा सकती है , उसे वस्तु कहते है ) के नाम को sangya कहते है | जैसे की -
राम हंस रहा है |
सीता गाना गाती है |
सूरज पूर्व से निकलता है |
हिमालय दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रंखला है |
समुद्र का पानी बहुत खारा होता है |
आदि शब्दों मे संज्ञा का प्रयोग किया गया है , जिससे की आपको ये पता लग सके की संज्ञा किसे कहते है |
Read Also : सन्धि किसे कहते है ? सन्धि के प्रकार
व्याकरण मे संज्ञा का बहुत महत्व होता है संज्ञा के पाँच भेद होते है |
संज्ञा के कितने भेद होते है ? ( sangya ke kitne bhed hote hai )
हिन्दी व्याकरण मे संज्ञा के पाँच भेद होते है |
जातिवाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा
समूहवाचक संज्ञा
द्रव्य वाचक संज्ञा
1. जातिवाचक संज्ञा ( jaati wachak sangya )
जिन संज्ञा शब्दों मे किसी एक ही प्रकार की अनेक वस्तुओ का बोध होता है , उन्हे जाति वाचक संज्ञा कहते है | जैसे की -
‘घर ' कहने से सभी तरह के घरों का 'पहाड़ ' कहने पर सभी पहाड़ों का और 'नदी ' कहने पर सभी नदियों का जातिगत बोध हो जाता है | जातिवाचक संज्ञाओ की स्थिति इस प्रकार है
- व्यवसायों , पदों , और कार्यों के नाम - भाई , माँ डॉक्टर वकील , मंत्री , अध्यक्ष , किसान , अध्यापक , मजदूर , आदि |
- पशु - पक्षियों के नाम - बैल , घोड़ा , हिरण , तोता ,मैना , मोर आदि |
- वस्तुओ के नाम - मकान , कुर्सी , मेज , पुस्तक , कलम , आदि |
- तत्वों के नाम - बिजली , बारिश , आंधी , तूफान , आदि |
2 . व्यक्तिवाचक संज्ञा ( vyaktiwachak sangyaa )
जिन शब्दों से किसी व्यक्ति ,या फिर स्थान का बोध होता है , उन्हे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते है जैसे की -
- व्यक्तियों के नाम - राम , लखन , सतपाल , प्रवीण , हिमेश आदि |
- फलों के नाम - आम , सेब , पपीता , अंगूर , केला आदि |
- ग्रंथों के नाम - रामचरितमानस , ऋग्वेद , यजुर्वेद , अथर्ववेद , सामवेद , कुरान , साकेत , आदि |
- समाचार पत्रों के नाम - दैनिक भास्कर , राजस्थान पत्रिका , नवभारत टाइम्स , अमर उजाला आदि |
- नदियों के नाम - गंगा , यमुना , सरस्वती , कावेरी , सिंधु , आदि |
- नगरों के नाम - लखनऊ , पुणे , मुंबई , जयपुर , ठाणे , आदि |
इन शब्दों मे किसी एक ही वस्तु का बोध होता है , यानि की ये सभी व्यक्तिवाचक संज्ञा है | जब व्यक्तिवाचक संज्ञा एक से अधिक का बोध कराने लगती है , तो यह जातिवाचक संज्ञा हो जाती है |
जैसे की - आज के युग मे जयचंदों की कमी नहीं है | यहाँ पर 'जयचंद ' का मतलब किसी के आदमी से ना होकर विश्वतघाती आदमी से है |
जातिवाचक और व्यक्ति वाचक संज्ञा मे अंतर
जातिवाचक संज्ञा | कवि | स्त्री | नदी | नगर | पर्वत |
व्यक्तिवाचक संज्ञा | सूरदास | राधा | गंगा | मुंबई | हिमालय |
3 . भाव वाचक संज्ञा ( bhav vachak sangya )
जिन संज्ञा शब्दों से किसी वस्तु के साथ गुण , दशा , व्यापार , आदि का बोध होता है , उन्हे भाववाचक संज्ञा कहते है | जैसे की -
- गुण के अर्थ मे - सुंदरता , कुशगर्ता , बुद्धिमता , आदि |
- अवस्था के संदर्भ मे - जवानी , बचपन , बुढ़ापा , आदि |
- दशा के संदर्भ मे - उन्नति , अवनति , चढ़ाई , ढलान आदि |
- भाव के अर्थ मे - मित्रता , शत्रुता , आदि |
इन शब्दों मे भाव विशेष का बोध होता है | अतः ये सभी भाव वाचक संज्ञा है |
भाव वाचक संज्ञा का निर्माण भाव वाचक संज्ञाओ का निर्माण जातिवाचक संज्ञा , व्यक्तिवाचक संज्ञा , सर्वनाम , क्रिया , और अव्यय मे आव ,अन , ई , तय ,त्व , पन , आई आदि के प्रत्यय जोड़कर किया जाता है जैसे की -
1. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञा |
मनुष्य | मनुष्यता |
लड़का | लड़कपन |
पुरुष | पुरुषत्व |
नारी | नारीत्व |
बूढ़ा | बुढ़ापा |
Read Also : वर्णमाला स्वर और व्यंजन सम्पूर्ण जानकारी
2. व्यक्तिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञा |
राम | रामत्व |
रावण | रावनत्व |
शिव | शिवत्व |
3. सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
अपना | अपनापन /अपनत्व |
अहं | अहंकार |
मम | ममत्व /ममता |
निज | निजता |
4. विशेषण से भाववाचक संज्ञा
विशेषण | भाववाचक संज्ञा |
कठोर | कठोरता |
चौड़ा | चौड़ाई |
वीर | वीरता |
सुंदर | सुंदरता |
ललित | लालितव |
भोला | भोलापन |
हरा | हरियाली |
5. क्रिया से भाववाचक संज्ञा
क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
घबराना | घबराहट |
खेलना | खेल |
पढ़ना | पढ़ाई |
मिलना | मिलाप |
भटकना | भटकाव |
6. अव्यय से भाववाचक संज्ञा
अव्यय | भाववाचक संज्ञा |
दूर | दूरी |
नीचे | नीचाई |
निकट | निकटता |
समीप | सामीप्य |
4. समूहवाचक संज्ञा ( samuh vachak sanya )
जिन शब्दों मे किसी एक ही जाति की वस्तुओ के समूह का बोध होता है , उन्हे समूहवाचक संज्ञा कहते है | जैसे की -
- व्यक्तियों के समूह - कक्षा , सेना , समूह , संघ , टुकड़ी , गिरोह , दल आदि |
- वस्तुओ का समूह - कुंज , ढेर ,गठठार , गुच्छा आदि |
5. द्रव्य वाचक संज्ञा ( dravya wachak sangyaa )
जिन संज्ञा शब्दों से किसी ऐसे पदार्थ या द्रव्य का बोध होता है , जिसे नाप -तौल सकते है , लेकिन गिन नहीं सकते है , उन्हे द्रव्य वाचक संज्ञा कहते है , जैसे की -
- धातुओ के नाम - सोना , चांदी , तांबा , पीतल आदि |
- पदार्थ के नाम - दूध , दही , घी , तेल , पानी आदि |
- अतः ये सभी द्रव्य वाचक संज्ञा है |
संज्ञा के तीन आधार है इन्हे संज्ञा की कोटिया कहते है | ये है , लिंग , कारक , वचन |
Tags : bhav vachak sangya , sangya ke kitne bhed hote hai , jaati wachak sangya , vyaktiwachak sangya , dravyawachak sangya .